प्राचीन काल में हमारा देश भारत विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त कर सकता था उसका कारण भी उसकी सच्चरित्रता और महान मानवीय नैतिक मूल्यों की रक्षा कर पाने का सामर्थ्य ही था जीवन की अस्थाई सफलता का आधार मनुष्य का चरित्र ही है चरित्र एक दृढ़ चट्टान है जिस पर खड़ा व्यक्ति अजय और महान होता है सद्विचारों सद्भाव और सत्कर्मों की एकरूपता को ही चरित्र कहते हैं जो अपनी इच्छाओं को नियंत्रित रखते हैं और उन्हें सत्कर्मों के सही रूप में डालते हैं उंहीं को चरित्रवान कहा जाता है संयम इच्छा शक्ति से प्रेरित सदाचार का नाम ही चरित्र है व्यक्ति परिवार राष्ट्र की अस्थाई समृद्धि और विकास हमारे चारित्रिक स्तर पर ही निर्भर करता है चारित्रिक ही नेता से ही शक्ति समृद्धि और विकास का विघटन होता है आज इस प्रकार की भावना से भरे व्यक्तियों शिक्षक-शिक्षिकाओं अधिकारी-कर्मचारियों लिपि को एवं दफ्तर में बाबू की आवश्यकता है शिक्षा के औपचारिक साधनों में शिक्षक संस्थान रोजी रोजगार परक शिक्षा तो दे रही हैं लेकिन चरित्रवान सुसंस्कृत नागरिक देने में अद्यतन परिवेश में असफल रही हैं यही कारण है कि समाज में अराजकता असमानता असंतुलन अनुशासनहीनता आदि कुरीतियां अपना वर्चस्व कायम कर दी जा रही है वस्तुतः शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तित्व का विकास है संप्रति शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है जिसके लिए शिक्षक शिक्षार्थी शिक्षण संस्थान अभिभावक शिक्षा अधिकारी एवं संग्राम शिक्षण तंत्र जिम्मेदार है इन्हीं विषयों को ध्यान में रखकर श्री संतराज यादव जी द्वारा 1 अप्रैल 2003 को एक विद्यालय की आधारशिला ज्योति पब्लिक स्कूल के रूप में रखी गई
Read More....आज विश्व स्तर पर भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का डंका बज रहा है, ऐसे में शिक्षण संस्थाओं की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है। इसमें एक तरफ तो वह संस्थाएँ है जो राष्ट्रहित में लगकर अनवरत संस्कारयुक्त शिक्षा देकर योग्यतम राष्ट्रवादी विचारधारा से ओत-प्रोत नागरिक तैयार कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं ...
More..I think we all have blocks between us and the best version of ourselves whether its shyness, insecurity, anxiety whether it's a physical block, and the story of a that block to their best self. IT's truly inspiring because! all of us are engaged in that everyday.
More..इतिहास के पन्ने गवाह है कि हम वैदिक काल में थे। हमारा देश सोने की विडिया कहलाता था। हमारा देश ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी ज्ञान, गणितीय ज्ञान, चिकित्सीय ज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान में सारी दुनिया का मार्गदर्शन करता था। भारत देश की सभ्यता और संस्कृति की जड़ें अपनी अध्यात्मवादी धरा में बहुत गहराई तक फैली है।...
More..Jyoti Inter College an English Medium co-educational school. The school has classes from Play-way to XII. The school was founded in the year 2003 in fond memory of Jyoti Gramin Seva Sansthan, Naharpur.